वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२१ दिसम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
सुख का साथी जगत सब, दुख का नाही कोय ।
दुःख का साथी साइयां, 'दादू' सदगुरु होय|| (संत दादू दयाल)
प्रसंग:
संसार से सुख मिलता है या दुःख?
या फिर सुख एक आशा भर ही है?
असली सुख को पाएं कैसे?
दुःख से मुक्त कैसे हुआ जाए?